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मंगलवार, 3 नवंबर 2015

लाल परी




१ 

  सुर्ख गुलाब राजा पृथ्वी का 
स्वर्ग लोक की मैं  रानी 
गुलाब ,गुलाल ,गोल सूरज से 
रंग लेने की ठानी 
शोख , चंचल , अतुल्य सुंदरी 
लाल परी  की यही कहानी
   
 २ 

चम चम चमकता जल प्रतिबिंब 
जब परी  लोक चमकाता 
सुनसान अँधेरी रातों का जुगनू 
जब धरती पर दीप जलाता 
मंद बयार बहती हौले से 
जब पत्तों को छू जाती 
परी लोक की लाल परी  तब 
इस रुपहली  दुनिया में आती