पर मन न मेरा काला
मीठे-मीठे बोल, बोलकर,
कर दूँ मन मतवाला।
कौआ नहीं है मेरा भइया,
माना रंग है उसका काला।
काँव-काँव का कर्कश बाजा,
कान हमेशा बंद करवाता ।
सच कहती हूँ प्यारे बच्चों ,
तुम मेरे ही गुण अपनाना।
ऊँच-नीच का भेद भूलकर,
गीत से मीठे बोल सुनाना।
पल्लवी गोयल
(चित्र गूगल से साभार )
सुंदर प्यारी रचना....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद पुरुषोत्तम जी ।
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