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सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

अतिथि देवता

 

अतिथि का सत्कार करो ,
'अतिथि देवता' भाव लिए।
 गाँव, शहर या देश -विदेश 
का ,रहो हरदम तैयार खड़े।
 गाँव का हो तो  सोंधाहट 
की ,कुछ मीठी खुशबू लेना ;
शहर का हो तो हँसी -
ठहाके से ही घर भर लेना ।
अगर कहीं विदेशी हो तो 
उसको गले लगाना तुम ।
संस्कृति ,वेश ,चाल से उसकी ,
कुछ अच्छा अपनाना तुम।
 चाल- चलन और सुविचार की 
कुछ सौगात बढ़ाना तुम ।
मुस्कुराहटों के सौदागर से ,
हर दिल में बस जाना तुम।
सभ्यता की यह धरोहर ,
थाती सा गले लगाना तुम ।
ना केवल अपने अपनाना
 पीढ़ी को सौंप के जाना तुम।

पल्लवी गोयल 
चित्र गूगल से साभार 

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