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शनिवार, 10 मार्च 2018

चिंटू और भूरा



चंपकवन के एक घने से जंगल में अनेक छोटे- छोटे जानवरों के साथ ही एक प्यारा सा खरगोश भी रहता था,चिंटू खरगोश।उसके छोटे- छोटे दो दाँत  उसकी भोली, उजली से खूबसूरती को और भी बढ़ा देते थे।  सवेरे उठकर ढूँढ- ढूँढकर गाजर खाता था और फिर दौड़कर सबकी मदद में जुट                                        जाताथा।



उसी जगह पर एक बड़ा सा  जंगली चूहा रहता था,नाम था भूरा चूहा। उसके सामने के दो दाँतों को देखकर लोग डर  जाते थे। जब भी वह चिंटू खरगोश को सबकी मदद करते देखता मुँह  बिचका कर  कहता "स्वागत करो , आ गए परोपकारी भाई। "चिंटू हँसकर उसकी बात
 टालकर चल देता।




एक बार एक किसान और उसकी बेटी जंगल से गुजर रहे थे।  भूरा चूहा उस छोटी लड़की को देखकर  बहुत खुश हुआ। 







अपनी आदत के अनुसार वह तेजी से दौड़ता हुआ उस लड़की के पैर पर चढ़ा और कुछ कदम आगे बढ़कर, मुड़कर लड़की को चिल्लाते हुए देखकर ,ताली मारकर हँसने लगा।





किसान यह देखकर नाराज़ हो गया और अपनी लाठी चूहे पर निशाना लगाकर पटकने लगा। भूरा चूहा जान बचने के लिए इधर उधर भागने लगा। 




भूरा  चूहे  की जान खतरे में देखकर अचानक से चिंटू खरगोश  लड़की के पास आ गया।  उसके आगे -पीछे घूमकर कलाबाजियाँ   दिखने  लगा। इतने प्यारे चिंटू को सामने देख लड़की खिलखिलाकर हँसने  लगी और उसे पकड़ने के लिए पीछे दौड़ी। किसान लड़की की हँसी सुनकर ज्योंही पलटा, भूरा चूहे  को भागने का  मौका मिल गया। भूरा के भागते ही चिंटू भी भाग  निकला।



भूरा की जान उस चिंटू ने बचाई जिसका वह दिन- रात  मजाक उडाता था। उसने चिंटू को धन्यवाद दिया और किसी को न डराने  की  कसम खाई। 




पल्लवी गोयल 
चित्र साभार गूगल