फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 12 मई 2017

मेरा घर




नील  गगन की नीली छाँव के
कुछ तारों को नीचे,
नीले  तारे  में गाँव हमारा,
हम पृथ्वी इसको कहते

तीन भाग में सागर का
पानी , ठाठें मार लहराता 
गहराई में कितने ही अंदर,
रत्न और जीव  छिपाता

कलकल कर  बर्फ की नदियाँ ,
झरने की सीढ़ी  उतरतीं 
मैदान ,खेत इंसानों की
दुनिया में जीवन भरतीं

नीले , पीले , लाल ,गुलाबी
फूल खिल -खिल लहराते 
गेहूँ ज्वार धान बाजरा
बाली बन तन जाते 

आसमान में उड़ते खग कुल
छतरी सा आकार  बनाते 
रात को कभी लोरियाँ गाते
प्रातः वंदन से हमें उठाते 

सीधे भोले पशु यहाँ के
भोजन की खोज में जाते 
हम इंसान खुली आँखों से
चाँद छूने की जिद में जुट जाते
                                            पल्लवी गोयल                                                                                                   
चित्र साभार गूगल