आज लाल परी अपने दोनों पंख फैला कर आसमान में उड़ जरूर रही थी पर उदास थी और थोड़ी गुस्सा भी। परी रानी ने आज उसे महल से बाहर रहने का आदेश दिया था। परी महल में आज बहुत बड़ा उत्सव था। परियाँ बन सँवर रही थीं पर लाल परी उदास सी बाहर ही घूम रही थी। संगीत का हल्का-हल्का स्वर महल से उस तक पहुँच रहा था जो उसे महल की तरफ खींच रहा था। गहरी साँस भर कर एक लम्बी उड़ान भरी और आसमान को पार करते हुए धरती पर उतर आई। वह एक बाग़ में पहुंची जहाँ बहुत सारे बच्चे खेल रहे थे। वह वहीं पर छिप कर खेल देखने लगी। सभी बच्चों की किलकारियों में वह अपना दुःख भूल गई और उन्हें देखने लगी। तभी एक लड़की सोनी की नज़र लाल परी के चमकते लाल पंख पर पड़ी। सोनी ने समझा यह कोई सुन्दर फूल है वह देखने आई तो लाल परी को सामने देख चौंक गई। वह ख़ुशी से चीखी। सभी बच्चे सोनी की चीख सुनकर उसके पास आए। लाल परी को लाल वस्त्र लाल ,लाल पंख , चमकीले लाल मुकुट और सुन्दर चेहरे को देखकर आश्चर्यचकित रह गए। अब लाल परी को भी उनको अपना परिचय देना पड़ा। जैसे ही पता चला वह लाल परी है, वे खुशी से उछलने लगे। दादी से उन्होंने लाल परी के बारे में सुना था कि वह सभी की इच्छाएँ पूरा करती है. सभी अपनी अपनी इच्छाएँ उसे बताने लगे। लाल परी जादू की छड़ी घुमाया तो चिंटू हवा की सैर करने लगा। अभी वह उतरा ही था कि लाल परी की छड़ी फिर घूमी इस बार एक रसीला आम सोनी की गोदी में आ गिरा। इस बार जैसे ही उसने छड़ी घुमाई बाग के सभी फूल जगमग रोशन हो गए। उस जादुई दुनिया में बच्चे मानो अपना घर भूल ही गए थे और लाल परी महल का उत्सव और अपना दुःख।
फूलों का प्रकाश जैसे ही कुछ कम हुआ तारे जगमगाने लगे। आकाश में चमकते तारे देखते ही बच्चे मानो सोते से जगे। लाल परी को अलविदा कहते हुए घर वापस जाने को मुड़ चले। लाल परी उदास हो गई। सोनी से लाल परी की उदासी छिपी न रही उसने उससे उदासी का कारण पूछा। लाल परी ने रानी परी की बात कह सुनाई। सोनी ने कहा, "जरूर आपने कोई शरारत की होगी। जब मैं शरारत करती हूँ तो माँ मुझे सजा देती है।" लाल परी ने सफाई देते हुए कहा ,"मैंने कोई शरारत नहीं की। " सोनी ने धीरे से मुस्कराते हुए कहा ,"कुछ तो ! " लाल पारी ने छड़ी के साथ अपनी नजर भी नीची करती हुए कहा ," हाँ ! वह नोटू बौना परी महल के सबसे ऊँची घडी की सफाई कर रहा था। मैंने नीचे से सीढ़ी पकड़ कर हिलाने लगी तो वह घडी की सुई पकड़ कर ऐसे लटका कि सुई टूट गई। घडी रुक जाने की वजह से समय भी रुक गया। परी लोक में सब कुछ थम गया। रानी परी को जादू से सब कुछ सही करना पड़ा इसलिए वह मुझसे नाराज हो गईं। गलती तो नोटू बौने ने भी की फिर उसे भी महल से बाहर भेजना चाहिए था। "सोनी ने कहा ," मेरी माँ कहती है कि अनजाने में की गई गलती की माफ़ी दी जा सकती है पर जो गलती हमने जान बूझ कर की हो वह सजा को योग्य होती है। आप बताइए किसने गलती अनजाने में की और किसने जानबूझ कर ?" लाल परी ने धीरे से कहा , "मैंने गलती जानबूझ कर की , नोटू बौने ने तो बचने के लिए सुई पकड़ी थी ।क्या मैं रानी परी माफ़ी माँगूँ तो वह मुझे माफ़ कर देंगी " सोनी ने फिर कहा , "माँ ने मुझे बताया हैकि सच्चे दिल से किया गया कोई भी काम सफ़ल होता है। लाल परी ने सोनी को छड़ी घुमा कर पलक झपकते उसके घर पहुंचा दिया और उसकी माँ को धन्यवाद देने को कहा। आज उनकी सीखों के कारण ही उसने परी लोक की सबसे अच्छी परी बनने का निश्चय लिया था। वह अपने दोनों पंख फैला कर परी रानी से माफ़ी मांगने के लिए बदलाओं को पार कर परी लोक की ओर उड़ चली।
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